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শ্রী শ্রী মা মহালক্ষ্মী এবং তাঁর বিভিন্ন রূপ এবং নবান্ন ।

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ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः শ্রী শ্রী মা লক্ষ্মী (সংস্কৃত: लक्ष्मी) হলেন  ধনসম্পদ, আধ্যাত্মিক সম্পদ, সৌভাগ্য ও সৌন্দর্যের দেবী। ভগবান নারায়নের থেকে এঁনার উৎপত্তি সেই জন্য দেবী লক্ষ্মীকে বিষ্ণু-শক্তি বলা হয় , ইনি ভগবান নারায়নের পত্নী। এঁনার  অপর নাম মহালক্ষ্মী ।  মা লক্ষ্মী প্রকৃতির  প্রতীক। ভগবান বিষ্ণু   প্রাণিকুলকে পালন করছেন। যে শক্তি দ্বারা ভগবান বিষ্ণু জগৎকে পালন করছেন সে শক্তিই হলেন মা লক্ষ্মী । महालक्ष्मी–स्तोत्रम् ध्यानम् ॐ कमलासने कमलमुखि कमलदलनेत्रे कमलाय। श्रीं जगन्मातृं महालक्ष्मीं भक्त्यास्माद् वन्दे नमोऽस्तु ते॥ स्तोत्रम् श्रीं श्रीं लक्ष्मीं धनधान्यसंपदा सौभाग्यचारिणीम्। सौन्दर्यं परमं देविम् विष्णोः पद्मरश्मिभासिनीम्॥ मत्प्रियां विष्णुपत्नीं च महामोहिनीं महादेवीं। महालक्ष्मीं नमामि तां सर्वसंपदाप्रदायिनीम्॥ नारायणाङ्गसम्भूतां विष्णोः शक्तिं सनातनीम्। सौभाग्यसौन्दर्ययुतां महालक्ष्मीं नमाम्यहम्॥ आदिलक्ष्मीधनाढ्यां च धान्यलक्ष्मीं च पूजिताम्। गजलक्ष्मीं सन्तानां च वीरविज्ञानरूपिण...

মুক্তি ,ভক্তি ও ষড়রিপু এবং মানব জীবনে ষড়রিপুর প্রভাব:ষড়রিপু কে নিয়ন্ত্রণ বা দমন করার উপায়।

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পৃথিবীতে সৃষ্ট প্রাণীর মধ্যে মানুষই সর্বশ্রেষ্ঠ । এই  শ্রেষ্ঠত্ব অর্জনের পেছনে মানুষের মধ্যে যে বিষয়গুলো সদা-সর্বদা ক্রিয়াশীল তা হলো তার বিবেক, বুদ্ধি, বিচক্ষণতা ও আত্মনিয়ন্ত্রণ ক্ষমতা। 1.বিবেক- হলো মানুষের অন্তর্নিহীত শক্তি যার দ্বারা ন্যায়, অন্যায়, ভালোমন্দ,  ধর্ম,অধর্ম বিচার-বিশ্লেষণ করার ক্ষমতা অর্জিত হয়। 2.বুদ্ধি -হলো মানুষের বিচার শক্তি  বা বোধশক্তি যার দ্বারা আমরা পেয়ে থাকি  জীবন ও জগতে সংগঠিত যাবতীয় ক্রিয়াকলাপে নিজেকে খাপ খাইয়ে নেওয়ার বিজ্ঞানসম্মত ক্ষমতা ও দক্ষতা । 3.বিচক্ষণতা হলো মানুষের দূরদর্শীতা যার মাধ্যমে মানুষ জীবনে আগত ও অনাগত বিষয়ে জ্ঞান অর্জন করে নিজেকে সর্বত্র সাবলীল ও সফল করে তুলতে সক্ষম হয়। 4.আত্মনিয়ন্ত্রণ- হলো মানুষের সংযমন যার দ্বারা মানুষ তার জীবনের সর্বত্র সংযত,সুসংবদ্ধ ও শৃঙ্খলিত জীবন অনুধাবনে সক্ষম হয়। कामः क्रोधः लोभो मोहः मदः मत्सरश्च वा। एषां संयम एव हि आत्मसंयम उच्यते॥ एष आत्मसंयमः गीता-उपनिषदोः कृतेः। चित्तशुद्धिर्नाम चैव आत्मविजय इति च॥ ★ kāmaḥ krodhaḥ lobhaḥ mohaḥ madaḥ matsaraśca vā।  eṣāṃ saṃyama eva hi ātmasaṃyama ucyate॥ e...

শ্রী শ্রী মা কালী এবং তাঁর বিভিন্ন রূপের বর্ণনা ও তাঁর ধ্যানমন্ত্র।

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महामाया-स्तोत्रम् ध्यानम् कालीं कृपामयीं देवीं, नीलोत्पलनिभां प्रभाम्। त्रिनेत्रां मुण्डमालां च, ध्यायामि जगदम्बिकाम्॥ स्तोत्रम् १. ब्रह्मशक्तिरूपा ब्रह्माणी, महेश्वरीति या स्मृता। निर्मलाकुमारिरूपा, महावज्रैन्द्री तथा॥ २. उग्रा शिवदूती नीला, मुण्डमालाविभूषिता। तमोमयी सा नियतिः, चण्डिका चान्यथा स्मृता॥ ३. अम्बिका वैष्णवी चापि, महागौरी च कौशिकी। कात्यायनी च कमला, भुवनेश्वरी ललिता॥ ४. दशमहाविद्यारूपा, काल्याख्या या प्रसिद्धिता। नमामि तां महादेवीं, सर्वरूपां जगद्गुरुम्॥ ५. साैवैकैव सन्त्येव, तथापि नान्यरूपिणी। अनन्तशक्तिसम्पन्ना, मायाशक्तिरनामया॥ ६. भक्तस्य हृदये नित्यं, नार्याः चाङ्के विराजते। ब्रह्मणो वाणीस्वरूपा, देवशक्तिर्निरूपिता॥ ७. भयत्रासहरां देवीं, भक्तानुग्रहकारिणीम्। जपमाला धरां नित्यं, त्राहि मां चण्डिकेश्वरीम्॥ ८. दुर्गां दुर्गतिनाशाय, कालिकां कालविग्रहम्। तारिणीं तारकत्राणां, त्राहि मां तारिणी शुभे॥ ९. नीलसरस्वतीं वन्दे, मातङ्गीं रूपधारिणीम्। धूमावतीं च बगला, मातरं मातृमण्डले॥ १०. भुवनेशि जगन्माते, महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते। कृपया पाहि मां नित्यं, मायामोहनिवारिणि...